मूर्ति विसर्जन की परम्परा और नदियों में बढ़ता प्रदूषण।

हमारे देश दुर्गा पूजा, गणेश चतुर्थी, सरस्वती पूजा आदि जैसे त्योहारों पर लम्बे समय से मूर्ति विसर्जन की परंपरा रही है। लेकिन हमारे देश में समय-के साथ बढ़ती आबादी के कारण नदियों में मूर्ति विसर्जन इतने बड़े पैमाने पर किया जाने लगा है कि जिसके कारण हमारी इन पवित्र नदियों के अस्तित्व पर ही संकट […]

नदियों में मूर्ति विसर्जन

हमारे देश में प्राचीन काल से ही नदियों में मूर्ति विसर्जन की परंपरा रही है। लेकिन क्या आस्था के नाम पर नदियों को प्रदूषित करना सही है? Option :- 1  हाँ Option:- 2  नहीं  

क्या हमें हर काम शुभ मुहूर्त देख कर करना चाहिए ?

इन्सान अपनी पूरी जिंदगी में हर काम शुभ मुहूर्त देखकर करता है शादी, ब्याह, मुंडन वगैरह। सिर्फ इंसान पैदा बिना शुभ मुहूर्त के होता है और इस दुनिया को अलविदा भी बिना शुभ मुहूर्त के ही कह जाता है उसके लिए कोई भी ये नही कहता कि तुम अभी अपना शरीर या देह मत त्यागो जरा शुभ […]

हमारे देश की सरकार को कोई भी कानून कैसे लागू करना चाहिए?

हमारे देश के नेताओं को चाहे वो निगम पार्षद हो, विधायक हो, मुख्यमंत्री हो या प्रधानमंत्री हो,सरकार की कोई भी विकास की योजना या कानून लागू करने से पहले जनता के बीच जाकर वोटिंग करवानी चाहिए कि कितने परसेंट जानता हमारी इस विकास की योजना या कानून से खुश है। देश की जनता को बार-बार […]

हमारे देश की जनता को शार्ट टर्म में होने वाले फायदे जैसे फ्री बिजली,पानी क्यों पसंद हैं?

हमारे देश की जनता को लॉन्ग टर्म में होने वाले फायदे जैसे विकास के काम फ्लाईओवर, अंडरपास, अच्छी सड़कें, स्कूल नही दिखते बल्कि शार्ट टर्म मे होने वाले फायदे ज्यादा अच्छे लगते हैं जैसे ये तूने श्रम कार्ड का फॉर्म भरा था तेरे 5000 रुपए आये क्या,या तेरे जन धन अकार मे 500 रुपए आये […]

हमारे देश में एक आम आदमी के लिए चुनाव जीतना संभव क्यों नहीं है?

हमारे देश मे होने वाले एक आम चुनाव मे अगर एक तरफ से कोई ईमानदार, मेहनती आम आदमी पहली बार अपना सब कुछ दाँव पर लगाकर चुनाव लड़ता है और दूसरी तरफ एक चार-पाँच बार का मंत्री,विधायक या निगम पार्षद चुनाव लड़ रहा हो तो 90% चाँस है कि अपना सब कुछ दाँव पर लगाकर […]

राजनीति में साम,दाम,दंड,भेद क्या हैं?

अक्सर हमने सुना होगा कि राजनीति साम,दाम,भेद से चलती है लेकिन ये शब्द हैं क्या और आखिर इन शब्दों का क्या मतलब है? देखिये अगर आपका कोई विरोधी है तो पहले उसे साथ में बैठकर प्यार से समझाओ ये है साम अगर वो ना माने तो उसे लालच दो मतलब पैसों से खरीद लो ये […]

क्या वास्तव में विकास के कार्य नेताओं के फण्ड द्वारा ही किये जाते हैं?

हमारे देश मे कोई भी नेता चाहे वो सांसद हो विधायक या निगम पार्षद हो अपने क्षेत्र मे अगर कहीं एक ईंट भी लगा दे वो वहाँ बड़े-बड़े पोस्टर और बैनरों पर ये लिख दिया जाता है कि ये विकास का कार्य हमारे फलाने नेताजी के फण्ड द्वारा किया जा रहा है और जनता को […]

क्या सब कुछ पैसा ही है या फिर सही काम को चुनने की जरुरत है?

आज कल एक ट्रेंड सा चल पड़ा है कि सबको करोड़ पति बनना है और वो भी जल्दी से जल्दी। चाहे इसके लिए किसी को दुख देना पड़े,धोखा देना पड़े,या किसी का गला ही काटना पड़े और ये सब चीज़ें जबसे सोशल मीडिया आया है तब से और ज्यादा बढ़ती ही जा रही हैं। हम […]

एक आम आदमी का सभी हमारे देश की सभी पार्टियों से भरोसा क्यों उठ चुका है?

हमारे देश मे जब भी कोई नई पार्टी बनती है तो वो शुरुआत तो पब्लिक से चंदा लेकर करती है लेकिन थोड़ा सा ऊपर उठने के बाद वो पब्लिक को ही इग्नोर करती है। आज की तारीख मे लगभग सभी पार्टियाँ एक ही ट्रेंड फॉलो कर रहीं हैं मोटा पैसा पार्टी फण्ड मे दो और […]

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