भारत में मीडिया का गिरता स्तर।

हम सभी जानते हैं कि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है जो एक आम आदमी और सरकार के बीच के संपर्क को मजबूत बनाता है। मीडिया के बगैर लोकतंत्र की कल्पना करना भी मुश्किल है और खासतौर पर भारत जैसे विशाल देश में जो कि जब जनसंख्या के मामले में विश्व में पहले नंबर पर है मीडिया की भूमिका बहुत ही अहम हो जाती है।

एक विशाल लोकतान्त्रिक देश में लोगों को ये जानने का पूरा अधिकार होता है कि उनके देश में क्या चल रहा है,सरकार उनके लिए कौन से कानून बना रही है,उस कानून का उन्हें फायदा होगा या नुकसान। इसके अलावा देश पुलिस और न्यायव्यवस्था के क्या हालात हैं वो अपना काम कितनी जिम्मेदारी के साथ कर रहे हैं। ये सब जानकारी उस देश के लोगों तक सही-सही पहुँचाना मीडिया की जिम्मेदारी है।

लम्बे समय से मीडिया बड़े-बड़े आंदोलनों के पीछे एक बड़ी ताकत रहा है आजादी की लड़ाई के दौरान भी हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों जैसे कि बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपत राय ने जन-जन तक अपनी बात पहुँचाने के लिए मीडिया का ही सहारा लिया था और यहाँ तक कि स्वतंत्रता संग्राम के महानायक रहे महात्मा गाँधी जी ने भी अपने विचार समाचार पत्र के माध्यम से ही लोगों तक पहुँचाये।

पहले का जमाना समाचार पत्रों और रेडियो का था।स्वतंत्रता के लम्बे समय बाद भारत में टेलीविज़न का पदार्पण हुआ। उससे पहले भारतीय मीडिया सिर्फ रेडियो कार्यक्रमों और समाचार पत्रों तक सिमित था।लोगों तक सूचना पहुँचाने के लिए कोई चूहादौड़ नही होती थी इसलिए तब मीडिया की विश्वासनीयता होती थी और लोगों को मीडिया की सूचना प्रणाली पर भरोसा होता था। ख़बरों को सीधे-सीधे जनता तक पहुँचाया जाता था मतलब किसी भी तरीके से लोगों को प्रभावित करने की उनकी जरा भी मंशा नहीं होती थी।

परन्तु आज जिस हमारे देश का मीडिया जिस हालत में पहुँच गया है उसे देखकर तरस आता है।

जब भी कोई घटना होती है तो मीडिया का काम होता है वह बिना अपनी राय रखे सारी की सारी जानकारी लोगों तक सही- सही पहुंचाए उसके लोग खुद ये तय करें कि उन्हें क्या मानना है,क्या समझना है और क्या नहीं समझना है पर इसके उलट आजकल क्या होता है पत्रकार बस एक खास वर्ग, व्यक्ति विशेष,सत्ता पक्ष की तारीफ करे जा रहा है और बस करे ही जा रहा है।खासतौर पर चुनाव के दौरान ऐसी ख़बरों की बाढ़ सी आ जाती है जब जानबूझकर किसी भी पार्टी या नेता के पक्ष में माहौल बनाया जाता है जिससे कि आम लोगों के वोट लेना आसान हो जाए।लोगों को ये भ्रम होता है कि वो अपनी मर्जी से वोट डाल रहे हैं लेकिन वास्तव ऐसा होता नही है क्योंकि जिस सूचना और जानकारी के आधार पर उन्होंने वोट डालने का निर्णय लिया वो सूचना और जानकारी देने वाला मीडिया आज अपनी विश्वनीयता पूरी तरह खो चुका है।

आज की तारीख़ में आप तथाकथित चोटी का कोई भी समाचार चैनल खोल कर देख लीजिये आप पाएंगे कि उसमें एक तरफ बहस चल रही होगी जिसका कोई सिर और पैर नही होगा और दूसरी तरफ बहस में शामिल प्रवक्ता गला फाड़-फाड़ कर चिल्ला रहे होंगे उनमे से बिजेता वही होता है जो सबसे ऊँची आवाज़ में चिल्लाकर सभी विरोधियों कि आवाज़ को बंद कर दे।

आखिर में मैं आपसे बस यही कहना चाहूँगा कि आप आज की तारीख़ में जो भी खबर देख रहें हैं उस पर आँख बंद करके भरोसा मत करिये चाहे आप किसी भी पार्टी को सपोर्ट करते हों, किसी भी जाति,धर्म को मानते हों आपका फायदा तभी होगा जब सही मुद्दों पर बात करेंगे वरना आपने इससे पहले भी बीजेपी-कांग्रेस किया है,हिन्दू-मुस्लमान किया है और आने वाले 10-15 साल भी यही करते रहेंगे। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई तब भी नहीं होती थी और आगे भी नही होगी प्राइवेट स्कूल आज भी इतनी महंगी फीस ले रहें हैं और आगे भी लेते रहेंगे। प्राइवेट अस्पताल इलाज के नाम पर आज भी लोगों के कपड़े उतरवाते रहे हैं और आगे भी उतरवाते रहेंगे।सरकारी अस्पताल पहले भी बदनाम थे और आगे भी रहेंगे।कुछ भी नहीं बदलेगा जब तक आप स्वयं अपने अपने मुद्दों को पर बात नहीं करेंगे।

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