एक आम आदमी का सभी हमारे देश की सभी पार्टियों से भरोसा क्यों उठ चुका है?

हमारे देश मे जब भी कोई नई पार्टी बनती है तो वो शुरुआत तो पब्लिक से चंदा लेकर करती है लेकिन थोड़ा सा ऊपर उठने के बाद वो पब्लिक को ही इग्नोर करती है। आज की तारीख मे लगभग सभी पार्टियाँ एक ही ट्रेंड फॉलो कर रहीं हैं मोटा पैसा पार्टी फण्ड मे दो और टिकट लो मतलब शुरुआत आम आदमी से और खात्मा खास आदमी पर और यही कारण है कि एक आम आदमी का सभी पार्टियों से भरोसा उठ चुका है।

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