आज कल आपने देखा होगा कि दफ्तर और घरों में प्लास्टिक के कप या पेपर कप में चाय पीने का चलन धीरे धीरे बढ़ता ही जा रहा है।आज आप किसी भी प्राइवेट या सरकारी दफ्तर में चले जाइये ऑफिस के लोग आपको प्लास्टिक या पेपर कप में ही चाय पीते दिखाई देंगे।आप अपने एरिया की किसी भी चाय की दुकान में चले जाइये वो आपको प्लास्टिक या पेपर कप में ही चाय डालकर देगा।
यहाँ तक कि आपने कभी ना कभी रास्ते में बहुत से ऐसे बहुत से चायवालों को देखा होगा जो प्लास्टिक की पन्नी में गर्म चाय डालकर ले जा रहें होंगे अगर आप भी ऐसी ही चाय पीते हैं तो आप निश्चित ही चाय नही बल्कि जहर पी रहे हैं।
दरअसल प्लास्टिक की पन्नी में जो भी माइक्रो प्लास्टिक और प्लास्टिक के जहरीले तत्व होते हैं वो चाय में मिल जाते हैं फिर वही चाय हम पीते हैं जिससे कि ये माइक्रोप्लास्टिक के कण हमारे पेट में पहुँच जाते हैं तथा हमारे खून में मिलकर शरीर में जगह-जगह कैंसर पैदा करते हैं
चाय की ही तरह प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने का चलन भी आजकल बहुत बढ़ चुका है खासतौर पर जब से बिसलेरी, किनली,और एक्वाफिना जैसी कंपनियों ने पानी को प्लास्टिक की बोतलों में पैकिंग करके बेचना शुरू किया तब से हम भारतवासी प्लास्टिक की इन बोतलों में पानी पीने के आदी हों चुके हैं।अभी हाल ही में आई एक रिसर्च में ये साबित हो चुका है कि ठंडे पानी की बोतल यदि प्लास्टिक की है,तो भी प्लास्टिक के माइक्रो प्लास्टिक कण उस पानी में मिल जाते हैं और फिर वही माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े हमारे शरीर में जाकर हमारी नस-नाड़ियों में और अलग-अलग ऑर्गन्स में जाकर जम जाते हैं, हमारा शरीर उनको बाहर नहीं निकाल पाता और नतीजा यह होता है,कि हम तरह तरह की गंभीर बीमारियों से ग्रसित होते हैं,
इसलिए अब वह समय आ गया है जब हमें प्लास्टिक को पूरी तरह अपने घर, दफ्तर और अपने जीवन से निकाल देने की आवश्यकता है अन्यथा इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।