Energy can neither be created nor be destroyed but it can only be converted from one form to another.
अर्थात ऊर्जा को ना ही उत्पन्न किया जा सकता है और न ही इसका विनाश इसे तो सिर्फ एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।
कुछ इसी प्रकार मानव मस्तिष्क में निहित जो भी ऊर्जा होती है वो कुछ तो करेगी या तो वो सृजन करेगी या फिर वो विनाश।
यदि इस ऊर्जा को सार्थक कार्यों में लगाया जाए तो ये इन्सान को मंगल गृह पर भी पहुँचा सकती है और अगर इसी ऊर्जा को निरर्थक कार्यों में लगा दिया जाए तो ये परमाणु बम जैसे घातक हथियारों का भी अविष्कार कर सकती है जो क्षण भर में पूरी पृथ्वी का विनाश कर सकते हैं।
इसी ऊर्जा का अगर सार्थक उपयोग किया जाए तो कोई इन्सान साइंटिस्ट डॉक्टर या इंजीनियर बन सकता है और अगर निरर्थक उपयोग किया जाए तो अपराधी। अब ये मनुष्य के ऊपर निर्भर करता है कि वो इस ऊर्जा का उपयोग कहाँ और कैसे करता है।
आज अपने चारों तरफ हम देख रहें हैं क्राइम रेट यानि जुर्म की घटनायें दिन प्रतिदिन बढ़ते ही चले जा रही हैं,हत्या,मारकट,बलात्कार, तलाक,आत्महत्या आदि घटनाओं की आये दिन बाढ़ सी आ गयी है।खासतौर पर युवा कभी रिक्शेवाले से लड़ गए तो कभी ऑटो वाले से और कभी तो उनकी प्रेमिका छोड़कर चली गयी इसलिए सदमे में चले गए।
यानि कुल मिलाकर पुलिस स्टेशन,कोर्ट कचेहरी सब भरे पड़े हैं इतने केस पेंडिंग में हैं कि अदालतें रोज सुनवाई कर रही हैं फिर भी केस खत्म नहीं हो रहें और न्याय व्यवस्था की तो आप बात ही ना करें,धज्जियाँ उडी पड़ी हैं।
लेकिन ये सब आखिर क्यों हो रहा है इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है Mind Energy यानि हमारे मन की शक्ति। आज का मानव चाहे फिर वो स्त्री हो या पुरुष अपने मन की सही इस्तेमाल करना पूरी तरह भूल चुका है।