मनुष्य के जीवन में विचारों का बहुत बड़ा योगदान होता है मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र भी “विचार”है और उसका सबसे बड़ा शत्रु भी  विचार ही है। मनुष्य को प्रतिदिन औसतन 60 हजार विचार आते हैं इनमें से कुछ विचार सकारात्मक होते हैं और कुछ नकारात्मक। अब विचारों के इस खेल में मनुष्य को ये पहचानना होता है कि कौन सा विचार उसका दोस्त है और कौन सा विचार उसका शत्रु है। अगर आप अपने जीवन में सकारात्मक विचारों को चुनते हैं तो आप ऐसे भविष्य का निर्माण कर रहें हैं जो आपकी इच्छाओं के अनुरूप है लेकिन अगर आप नकारात्मक विचारों को चुनते हैं तो निश्चित ही आप ऐसे भविष्य का निर्माण कर रहे हैं जो आपकी इच्छाओं के विपरीत है।

आप इस बात को माने या ना माने लेकिन आपका वर्तमान जीवन भी आपके पुराने विचारों का ही प्रतिबिम्ब है। जैसा आप सोचते हैं वैसा ही आप बनते चले जाते हैं।

आपके दैनिक जीवन में कभी ना कभी ऐसे दिन जरूर आये होंगे जब एक के बाद एक आपके साथ कई चीजें गड़बड़ होती चली जाती हैं। पहले आपके साथ एक बुरी घटना होती है और आप उस बुरी घटना के बारे में सोच कर आपका मूड खराब हुआ और आपने उस पर अपना रिएक्शन दिया जिससे कि एक और बुरी घटना हुई फिर इस तरह से एक के बाद बुरी घटनाओं की झड़ी सी लग गई। आप समझ ही नहीं पाए कि आखिर मुझसे गलती कहाँ हुई।

 

दरअसल ये चेन रिएक्शन सिर्फ एक विचार से शुरू हुई थी चाहे आपको एहसास हुआ हो या ना हुआ हो लेकिन एक बुरे विचार ने दूसरे बुरे विचारों को आकर्षित किया फ्रीक्वेसी दर्ज हुई और इसके फलस्वरूप कोई चीज़ गड़बड़ हो गई। और ये चेन रिएक्शन चीज़ें तब तक होती रहेंगी जब तक आप अपनी इच्छा शक्ति से अपने विचार बदलकर अपने आपको उस फ्रीक्वेसी से हटा ना लें।

 

कल्पना करिए आप सड़क पर गाडी चला रहे हैं और अचानक से कोई आपके सामने आ गया आपने एकदम से ब्रेक लगा दिए और आपका एक्सीडेंट होते-होते बचा। अब आप सारे रास्ते उस बुरी घटना के बारे में सोचते रहे और आपने ना चाहकर भी दूसरे बुरे विचारों को अपनी ओर आकर्षित किया जिसके कारण आपका ध्यान भंग हुआ और आपका सड़क पर फिर से एक्सीडेंट होते-होते बचा सारे दिन भर आपके साथ ऐसी घटनाएं कई बार हुई और शाम को घर आकर ये कहते हैं कि आज आपका सारा दिन खराब हो गया।

 

इसलिए अगली बार जब आपके साथ ऐसा कुछ होता है तो तुरंत अपने अपने विचारों को बदल लें और किसी अच्छी चीज़ के बारे में सोचें जिससे कि उस घटना से आपका ध्यान हट जाए अन्यथा ऐसा ना करके आप अपनी ही भलाई के रास्ते में दीवार खड़ी कर रहे हैं।