भारत में लोकतंत्र का गिरता स्तर।

लोकतंत्र का मतलब होता है जनता द्वारा,जनता के लिए,जनता का शासन लेकिन आज कल भारत की लोकतान्त्रिक राजनीति में जो चल रहा है उसे कहते हैं नेताओं द्वारा,नेताओं के लिए,नेताओं का शासन। इसमें जनता की भागीदारी तो कही है ही नहीं,जनता का तो बस इतना काम रह गया है कि इलेक्शन के दिन किसी तरह से पोलिंग बूथ पर पहुँच जाना,बटन दबाना,अपनी उंगली पर नीली स्याही लगवाना और उसकी सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर सबको दिखाना बस बाकि पाँच साल अब हमारे चुने हुए नेता तय करेंगे कि किसकी सरकार बनेगी और किसकी गिरेगी,किससे समर्थन लेना है या फिर किसको समर्थन देना है, किस को CM बनाना है या फिर किसे PM बनाना है।

इस देश में कई बार कुछ ऐसे किस्से हुए हैं कि जब लोगों ने लोकतंत्र के नाम पर अपने आपको ठगा हुआ महसूस किया है। उदाहरण के लिए वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। उसे पूरे भारत में सबसे ज्यादा 161 सीटें मिली तथा कांग्रेस को 140 अब अगर हम यहाँ लोकतंत्र के हिसाब से देखें तो सरकार बीजेपी की बननी चाहिए थी लेकिन नहीं अटल जी को अपना इस्तीफा देना पड़ जाता है क्योंकि वो सदन में अपना बहुमत साबित करने में नाकाम रहते हैं और दूसरी तरफ कांग्रेस अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर सरकार बना ले जाती है।

दूसरा उदारहण हम महाराष्ट्र में हुए 2019 के विधानसभा से ले सकते हैं जब महाराष्ट्र में बीजेपी राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से सर्वाधिक 105 सीटें जीतीं और वही शिवसेना को 56 सीटें मिली। यहाँ बहुमत का आँकड़ा 145 का था। लेकिन शिवसेना में लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाते हुए एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली और वोट देने वाली जनता टीवी पर तमाशा देखती रह गयी।

तीसरा उदाहरण हम वर्ष 2012 में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव से ले सकते हैं जब बीजेपी को दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से सर्वाधिक 32 सीटें मिली और वहीं अन्ना आंदोलन से जन्मी एक नई नवेली पार्टी आम आदमी पार्टी को 28 सीटें मिलती हैं लेकिन जनता के फैसले के उलट आम आदमी पार्टी और कांग्रेस (28+8)दोनों मिलकर बहुमत के आँकडे को पार कर लेते हैं और अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के CM बन जाते हैं।

अभी ताज़ा उदाहरण हम चंडीगढ़ में मेयर चुनाव का ले सकते हैं। जहाँ इंडिया गठबंधन 36 में से 20 वोट मिलते हैं जबकि बीजेपी को मात्र 16 वोट मिलते हैं लेकिन क्योंकि काउंटिंग एजेंट इंडिया गठबंधन के 8 वोट इनवैलिड कर देता है जिसके कारण बीजेपी अपना मेयर बना ले जाती है।

कुल मिला अब देखा जाए तो लोकतंत्र शब्द अब भारतीय राजनीति में सिर्फ एक परिभाषा बन कर रह गया है इसमें लोगों के लिए कुछ बचा नहीं है अगर कुछ बचा है तो सिर्फ नेताओं के लिए इसलिए अब वह हमारे सविंधान में भी लोकतंत्र की परिभाषा को बदल दिया जाना चाहिए।

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