इन्सान अपनी पूरी जिंदगी में हर काम शुभ मुहूर्त देखकर करता है शादी, ब्याह, मुंडन वगैरह। सिर्फ इंसान पैदा बिना शुभ मुहूर्त के होता है और इस दुनिया को अलविदा भी बिना शुभ मुहूर्त के ही कह जाता है उसके लिए कोई भी ये नही कहता कि तुम अभी अपना शरीर या देह मत त्यागो जरा शुभ मुहूर्त तो आने दो ।

एक माता-पिता के लिए जब उसकी संतान का जन्म होता है वही उनके लिए शुभ मुहूर्त होता है अतः धार्मिक होना अच्छी बात है अपनी संस्कृति और मूल्यों को मानना भी अच्छी बात है लेकिन हमें हर काम को करने के लिए शुभ मुहूर्त का इंतजार नहीं करना चाहिए।