हमारे देश मे जब किसी कैंडिडेट को किसी भी पार्टी से टिकट जारी किया जाता है तो उससे एक मोटा अमाउंट पार्टी फण्ड मे देने को कहा जाता है वो कुछ भी हो सकता है 1-2 करोड़ और इलेक्शन जीतने के लिए अपनी जेब से खर्चा हुआ वो अलग। अब इतना पैसा खर्चा करने के बाद अगर कोई विधायक या सांसद बन भी जाता है तो सबसे पहले उसके ये सामने मज़बूरी होती है कि पहले तो वो अपना पैसा निकाले जनता की सेवा बाद मे देखी जाएगी और यहीं से जन्म होता है भ्रष्टाचार का अब कोई ज्यादा करता है तो कोई कम करते सब हैं मतलब सारा का सारा सिस्टम ही खराब है।