क्या भारत की जनता नेताओं की हाथों की कठपुतली है?

हमारे देश के नेताओं के लिए जनता किसी कुत्ते या बिल्ली के समान है जिनके सामने चुनाव से पहले एक रोटी का टुकड़ा फेंक दो और वो अपनी दुम हिलाता रहे।

10 करोड़ नौकरियाँ देंगे अगर नही दे पाए तो 5000 Rs. बेरोजगारी भत्ता देंगे, महिलाओं को हर महीने 1000 Rs देंगे, 300 यूनिट बिजली फ्री देंगे, किसानों का कर्ज माफ करेंगे, प्रदेश के सभी युवाओं को लैपटॉप देंगे इत्यादि।

लेकिन चाहे वो युवा हो, किसान हो या फिर महिला उन्हें आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें अपने पैरों पर खड़े की बात कोई नही करेगा क्योंकि अपने पैरों पर खड़े हो गए तो नेताओं की रैलियों में 200 Rs मे नारे, और बस मे भर-भर के कौन जाएगा उन्हें भी बेजरोजगार आर्मी की जरुरत पड़ती है।

जब सब अपने अपने काम के लगे रहेंगे तो इन्हे सुनेगा कौन कि “चन्नी साहब को बोल देना जिन्दा बच कर आया हूँ और उन्हें वोट भी कौन देगा?

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