आज हमारे देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि हम धर्म और राजनिति को अलग -अलग मान बैठे हैं लेकिन वास्तव में राजनीति का वास्तविक अर्थ ही धर्म की स्थापना और अधर्म का विनाश करना होता है। जब -जब धरती पर पाप बढ़ता है तब-तब धर्म की स्थापना के लिए राजनिति का सहारा लेना पड़ता है और यही श्री राम ने किया, यही श्री कृष्ण ने, इसलिए राजनिति और धर्म अलग नही हो सकते, ये एक ही हैं। जिस देश के लोग राजनिति और धर्म को अलग-अलग मानते हैं उस देश का पतन होना निश्चित है।
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