Bhagvat Gita: Chapter 3, Verse 1
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः ।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते ॥ २१ ॥
yad yad acarati śreṣṭhas
tat tad evetaro janaḥ
sa yat pramāṇam kurute
lokas tad anuvartate
यत् यत् —जो-जो; आचरति – करता है; श्रेष्ठः – आदरणीय नेता; तत् — वही; तत्–तथा केवल वही; एव – निश्चय ही; इतर: – सामान्य; जनः – व्यक्ति; सः – वह; यत् — जो कुछ; प्रमाणम् – उदाहरण, आदर्श; कुरुते- करता है; लोकः – सारा संसार; तत् — उसके; अनुवर्तते – पदचिह्नों का अनुसरण करता है।
Whatever action a great man or Leader will perform, common man follow them and whatever standards he sets by exemplary acts,all the world pursues.
अर्थात एक महान व्यक्ति अथवा लीडर जैसा आचरण करता है सामान्य व्यक्ति अथवा उसके नीचे काम करने वाले लोग उसका अनुसरण करते हैं,और वह अपने अनुसरणीय कृत्यों द्वारा जो भी मानक स्थापित करता है पूरी दुनिया उसका अनुसरण करती है।
तात्पर्य :- एक महान व्यक्ति को सदैव ही अच्छा आचरण करना चाहिए। क्योंकि जैसा वो आचरण करेगा प्रजा भी उसी आचरण का अनुसरण करेगी और ठीक वैसा ही करेगी। यदि नेता शराब पीता है तो प्रजा को शराब ना पीने के लिए मना नही कर सकता।
यदि आपके घर में ही बड़ा भाई सिगरेट पीता है तो छोटा भाई भी अपने बड़े भाई का अनुसरण करते हुए सिगरेट पीना शुरू कर देगा। अब वो चाहकर भी अपने छोटे भाई को सिगरेट पीने के लिए मना नही कर सकता।
एक पिता को भी अपने आचरण का खास ध्यान रखना चाहिए क्योंकि एक पुत्र अपने पिता के आचरण का अनुसरण करता है।अतः एक पिता अगर चाहता है कि उसका बेटा अपने जीवन में एक महान व्यक्ति बने तो उसे भी अच्छे आचरण का अनुसरण करना होगा।
एक शिक्षक जो कि हजारों बच्चों को शिक्षा प्रदान करता है, उसे भी अपने आचरण का खास तौर पर ध्यान रखना चाहिए क्योंकि उसका अनुसरण करने वाले विद्यार्थियों की संख्या हजारों में होती है यदि वह सही आचरण करेगा तो इससे उसके द्वारा शिक्षित विद्यार्थियों को जीवन सँवर जाएगा।
किसी बड़ी कंपनी में काम करने वाले मैनेजर या फिर उसके डायरेक्टर को या फिर किसी भी ऊँचे पद पर बैठे व्यक्ति को हमेशा अपना आचरण सही रखना चाहिए क्योंकि कंपनी में अपने नींचे काम करने वाले सामान्य लोग भी उसका अनुसरण करते हैं यदि कंपनी का मैनेजर या डायरेक्टर स्वयं ही नियमों का पालन नहीं करेगा तो उसके नींचे काम करने वाले अन्य लोग भी वैसा ही करेंगे ।
उदाहरण :- पाकिस्तान के क्रिकेटर शहीद अनवर के 194 रनों का रिकार्ड एक समय लोग सोचते थे कि शायद ही कोई इसे तोड़ पाए। यहाँ तक कि महान बल्लेबाज मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने भी कई बार इस रिकॉर्ड को तोड़ने की कोशिश की लेकिन हर बार असफल रहे । लेकिन आखिरकार सचिन ने 2010 में शहीद अनवर का 194 रनों का ये रिकॉर्ड तोड़ ही दिया और नाबाद 200 रन बनाये । क्रिकेट के इतिहास में पहली बार किसी बल्लेबाज ने दोहरा शतक जड़ा। सचिन का वन-डे में दोहरा शतक जड़ने से पहले किसी ने ये सोचा भी नहीं था कि कोई बल्लेबाज ऐसा कर सकता है। लेकिन फिर सहवाग ने 2011 में ही सचिन का ये रिकॉर्ड तोड़ते हुए 219 रन बनाये। लेकिन फिर सहवाग का ये रिकॉर्ड भी ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाया और बहुत जल्द ही रोहित शर्मा ने सहवाग का ये रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। लेकिन ऐसा कैसे हुआ दरअसल सचिन के 200 रन बनाने के बाद उन्होंने दूसरे बल्लेबाजों के लिए एक मानक स्थापित किया कि मैंने ऐसा किया तुम भी ऐसा कर सकते हो। फिर एक के बाद एक सभी भारतीय बल्लेबाजों ने उनका अनुसरण करते हुए वैसा ही किया।
अतः अंत में सार यही है कि जो भी व्यक्ति अपने जीवन में उन्नति या तरक्की चाहता है उसे अपने जीवन में महान लोगों के पदचिन्हों का अनुसरण करना चाहिए और उनके द्वारा बताये गए नियमों का पालन करना चाहिए।