सरकारी नौकरी और बस सरकारी नौकरी आज हमारे समाज में युवाओं और विद्यार्थीयों का एकमात्र लक्ष्य होता है बस सरकारी नौकरी पाना। 21 सदी में भी हम लोग सरकारी नौकरी के पीछे भाग रहे हैं। जैसे ही हमारे देश के युवा कैरियर बनाने के बारे में सोचने की स्थिति में पहुँचते है उन्हें सिर्फ एक ही चीज दिखती है और वह है बस सरकारी नौकरी और कुछ नहीं।

आज भी युवा सरकारी नौकरी के पीछे भागता है और उसकी एक ही आस होती है कि किसी तरह मेहनत करके एक अच्छी सरकारी नौकरी मिल जाये और लाइफ सेट हो जाये।

लेकिन अक्सर यह देखा गया है की जो व्यक्ति सरकारी नौकरी में किसी अधिकारी के तौर पर कार्यरत है,उसका हमारे समाज में एक अलग ही दबदबा और प्रतिष्ठिता होती है। भारत में सरकारी नौकरी करने वालों को सरकारी दामाद कहते हैं। लोगों को लगता है कि यदि सरकारी नौकरी होगी तो उनका जीवनयापन अच्छे से होगा।

 हमारे देश में सरकारी नौकरी का मतलब है, आमदनी की गारंटी, सिर पर छत और मुफ़्त में मेडिकल सुविधाएं. इसके अलावा सरकारी नौकरी करने वालों और उनके परिजनों को घूमने या कहीं आने-जाने के लिए पास भी मिलता है। और एक बड़ी वजह ये भी है कि सरकारी नौकरी करने वालों को ख़ूब दहेज़ मिलता है। यानी शादी के बाज़ार में सरकारी नौकरी करने वाले की ऊंची क़ीमत लगती है।

हमारे समाज में सरकारी नौकरियों को लेकर लोगों के रूढ़िवादी सोच फैली हुई है।

अगर बिहार की बात करें तो इस राज्य में सरकारी नौकरी का काफी महत्व है। जैसा की आप सभी जानते होंगे की बिहार में दहेज प्रथा का काफी चलन है अगर कोई लड़का सरकारी नौकरी में कार्यरत है तो शादी से पहले वो मुँह मांगी दहेज़ की डिमांड करते हैं,ऐसा भी माना जाता है की और लड़की के परिवार वाले सरकारी नौकरी वाले लड़के को इसलिए ढूंढते है बेटी का जीवन सेफ और सिक्योर रहे और आगे चल कर उसे किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े।

आज हमारे देश के युवाओं में इस सरकारी नौकरी का लालच इतना बढ़ गया है कि सरकारी नौकरी के आकर्षण में पीएचडी डिग्री होल्डर्स, MBBS DOCTORS,और B-TECH Engineers  भी अब चपरासी बन रहे हैं। हालात तो यहाँ खराब हैं कि फॉर्म भरते समय यह भी इम्पोर्टेन्ट नहीं होता कि  कौन सी पोस्ट के लिये अप्लाई कर रहे है वह पोस्ट उनके लायक है भी या नहीं बस एक नौकरी मिल जाए किसी तरह उसी के जुगाड़ में अपनी लाइफ का सबसे अच्छा समय जो की उसकी पूरी लॉइफ का गोल्डन पीरियड होता है बिता देते हैं । लोग सोच ही नहीं पाते की सरकारी नौकरी के आलावा भी विकल्प बहुत है।

वो एक कहावत है की एक बार भगवान के दर्शन हो जाएंगे लेकिन सरकारी नौकरी के दर्शन होना या मिलना काफी मुश्किल है। हमे यह समझना होगा की सरकारी नौकरी सभी को नहीं मिल सकती । 

अगर आँकड़ों के हिसाब से भी देखे तो पूरे देश में AVAILABE नौकरियों में सरकारी नौकरियों का प्रतिशत मात्र 2% के करीब है। सोचिये जब सभी लोग सिर्फ सरकारी नौकरी की तरफ ही दौड़ेंगे तो सफल तो 2 या 3% ही होंगे लेकिन बाकी बच्चों का क्या होगा। 

इसके अलावा बढ़ती आबादी और नौकरी की कमी की वजह से भी हमारे देश में सरकारी नौकरी के लिए बहुत मारामारी है।

कोरोना संकट के बाद भी दुनिया में जो स्थिति बन रही है उसे भी हम देख रहे हैं।  एक राष्ट्र के रूप में आज हम बहुत अहम मोड़ पर खड़े हैं। इतनी बड़ी आपदा भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है, संदेश लेकर आई है, एक अवसर लेकर आई है।21 सदी भारत का हो यह हमारा सपना ही नहीं, हम सबक की जिम्मेदारी है। लेकिन इसका मार्ग क्या होगा? विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही, और वह है आत्मनिर्भर भारत। 

दोस्तों क्या वो वक़्त आ गया कि हमें सरकारी या प्राइवेट नौकरी की पाने की इस होड़ से बाहर निकल कर अब आत्मनिर्भर बनने की ओर अपना फोकस करना चाहिए।

क्या हमारे समाज में सरकारी नौकरियों को लेकर लोगों के इस रूढ़िवादी सोच में फिर से परिवर्तन की जरुरत है?