हमारे देश मे अगर किसी आम आदमी ने कोई नार्मल क्राइम ही किया हो तो भी उसे पुलिस, फौज और डिफेन्स से जुड़े डिपार्टमेंट्स मे सरकारी नौकरी नही दी जाती लेकिन नेता लोगों पर जब तक 10-15 केस ना हों उनकी नेतागिरी किस बात की?
मतलब हमारे देश की संसद मे जहाँ सारे कानून पास होते हैं वहाँ सारे गुंडे मवाली पहुँचते और जिन्हे असल मे वहाँ होना चाहिए उन्हें दिन रात सरकारी नौकरी के फॉर्म भरने से फुर्सत नही है?